बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में छात्र एग्रीकल्चर से बीएससी और एमएससी कर सकेंगे। एग्रीकल्चर में भविष्य बनाने वाले छात्रों को अब मेरठ, पंतनगर या फिर हरियाणा की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। वहीं अमेरिका की मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में अब रुहेलखंड विश्वविद्यालय के छात्र अध्ययन और शोध कर सकेंगे। दोनों के मध्य तकनीकी स्थानांतरण और शैक्षणिक एमओयू हुआ।
इस दौरान मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी के प्रो. ओपी धनखड़ ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय का दौरा भी किया।एमओयू तकनीकी समझौते पर हस्ताक्षर प्रो. एसएस बेदी, प्रो. सुधीर कुमार, प्रो. उपेन्द्र कुमार, प्रो. नवीन और प्रो. एसके पांडेय ने किए। कुलपति प्रो. केपी सिंह ने बताया कि मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में अध्ययन और शोध कार्यों के लिए विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। पादप विज्ञान विभाग और डायरेक्टरेट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशनशिप के संयुक्त तत्वाधान में कार्यक्रम हुआ। विभाग अध्यक्ष प्रो. आलोक श्रीवास्तव ने तकनीकी हस्तांतरण के लिए मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी को धन्यवाद भी दिया। प्रो. उपेंद्र कुमार ने बताया कि मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी विश्व रैंकिंग में 21वें नंबर पर है। संकाय अध्यक्ष प्रो. संजय कुमार गर्ग, डॉ. अतुल कटियार, प्रो. जेएन मौर्य, प्रो. भोले खान, डॉ. विजय कुमार सिंहाल, डॉ. पंकज अरोरा, डॉ. ललित पांडेय, तपन वर्मा, रॉबिन बालियान मौजूद रहे।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में कृषि संकाय खोलने के लिए विद्या परिषद की बैठक में पिछले वर्ष स्वीकृति मिल गई थी। इसके बाद यह तय हो गया था कि 2024-25 के सत्र में कृषि संकाय शुरू हो जाएगा। बैचलर डिग्री के रूप में बीएससी एजी, बीएससी इन फिशरीज साइंस, बीएससी इन प्लांट पैथालोजी, बीबीए इन एग्रीकल्चर, कृषि रसायन, खेती तकनीकी, कृषि उद्यान, फल विज्ञान, फसल विज्ञान आदि। मास्टर डिग्री में एमएससी कृषि, उद्यान के अलावा एमएससी कृषि के बाद पीएचडी करने का भी मौका विश्वविद्यालय उपलब्ध कराएगा। शिक्षकों और स्टाफ की भर्ती होगी।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में कृषि सकाय जुलाई 2024 से अस्तित्व में आ जाएगा। बीएसएसी-एजी और एमएससी-एजी की कक्षाएं शुरू होंगी। विद्यार्थियों को कृषि के क्षेत्र में विश्वविद्यालय भविष्य बनाने के लिए पूरी सुविधा देगा।